Friday, December 6, 2013

आखिरकार आदित्य नारायण को गीत ही गाना पड़ा



लोकप्रिय गायक उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण जिन्होंने बचपन में कई फिल्मों में गीतों को गाकर कई अवार्ड भी जीते साथ ही कई फिल्मों में अभिनय भी किया। बाल गायक के रूप में करीब १०० से भी अधिक फिल्मों में गाकर आदित्य ने सफलता पायी और कई बड़े बैनरो की फिल्मों में  बाल्य कलाकार के तौर  पर काम  भी किया। सन २००६ में लंदन के टेक म्यूजिक स्कूल से  संगीत की  ही पढ़ाई की  और वापस भारत आकर २००७ में सारेगामापा चेलेंज २००७ में बतौर होस्ट काम किया।  १९ साल के आदित्य इस कार्यक्रम के प्रसारण से घर - घर में लोकप्रिय हो गये. इसके बाद एक - एक करके उन्होंने २००८ में सारेगामापा लिटिल चैंप्स और  २००९ में सारेगामापा चेलेंज के एंकर बने। 

आदित्य के प्रशंसक उनकी आवाज़ को एक प्ले बैक सिंगर  के रूप में सुनना चाहते थे लेकिन सन २०१० में निर्देशक विक्रम भट्ट ने उन्हें अपनी फ़िल्म "शापित " में बतौर नायक उन्हें ले लिया और  सच में यह फ़िल्म उनके लिए एक श्राप साबित हुई इस फ़िल्म को कोई ख़ास सफलता भी नही मिली। बतौर हीरो तो आदित्य अफल रहे हाँ इस फ़िल्म के गीत उन्होंने लिखे कंपोज़ किये और गाये भी और इस फ़िल्म में क्षेत्र में उन्हें  सफलता भी मिली।   

२०१२ में आदित्य ने संजय लीला भंसाली के साथ  फ़िल्म "राम लीला" के लिए एक सहायक के रूप में काम करना शुरू किया। इस फ़िल्म में उन्होंने गीतों को गाया जो कि फ़िल्म के लिए उनके पिता उदित को गाना था लेकिन जब संजय ने "तड़ तड़" और ' इश्क्यूँ ढिश्क्यू " दोनों ही गीतों को सुना तो उन्हें बेहद पसंद आये और आदित्य ने भी कहा कि "मेरे ही गीतों को सर फ़िल्म में रखिये मैंने अपने पापा से बात कर लूँगा। "


आखिरकार क्यों आदित्य ने इतने साल लगा दिये फिल्मों में गीतों को गाने में. जबकि उनकी आवाज़ अच्छी है श्रोताओं को पसंद भी आती है यह बात फ़िल्म "रामलीला " के उनके गाये ये दो हिट गीत बताते हैं।  इस फ़िल्म के बाद भी उन्हें दूसरी फिल्मों के लिए गीत गाने चाहिये। क्योंकि वैसे भी उदित तो गीत कम ही गाते हैं और उनके प्रशंसक उन्हें सुनना  चाहते हैं इन दोनों ही गीतों को सुनकर कई बार लगता है कि उदित की ही आवाज़ है. 

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