Thursday, July 17, 2014

जुम्मे की रात ही क्यों चुम्मे की बात


आज कल एक गाना बहुत लोकप्रिय हो रहा है जुम्मे की रात है चुम्मे की बात है तो क्या जुम्मे की रात में ही चुम्मे की संभावना है, ना - ना  यहाँ संभावना सेठ की बात नही हो रही बल्कि यहाँ बात हो रही है किसी विशेष दिन या रात की जब चुम्मा संभव हो. क्या एक चुम्मे के लिए पूरे सप्ताह का इंतज़ार करना ठीक है या इस दिन सॉरी - सॉरी रात में कुछ विशेष आनंद बरसता है.

बहुत साल पहले भी यानि १९९१ में भी बिग बी ने जुम्मा से जुम्मा के दिन चुम्मा माँगा था लेकिन तब उन्होंने दिन में मांगा था यह रात में नही. अब चल रहा है २०१४ यानि कि २३ साल बाद हम आधुनिक हो गए हैं दिन की बजाय रात की बात करने लगे हैं अपने गीतों में. लेकिन इतने सालों बाद भी चुम्मा सिर्फ जुम्मा पर ही अटका हुआ है. क्यों वीक डेज में यह् काम नही हो सकता या जुम्मे से ही वीकेण्ड की शुरुआत आज प्रचलन में है इसलिए.  

‘जुम्मे की रात है चुम्मे की बात है गीत का संयोग देखिये फ़िल्म में यह फिल्माया गाया है सो काल्ड वर्जिन सलमान खान पर और इसे गाया है चुम्मा स्पेशलिस्ट मिका पाजी ने. यह गाना सुनकर हमारे सीरियल किसर बेचारे इमरान हाश्मी बहुत गश खाते होंगे कि नाम तो उनका बदनाम है फिल्मों में चुम्मे के लिए जबकि जोर - जोर से गाना गाकर मांग रहे हैं दूसरे नायक इसे.   


कल फिर जुम्मा है तो आप सभी इस लेख को पढ़ने वाले तैयार हो जाइए नही तो फिर अगले जुम्मे का इंतज़ार करना होगा.

क्योंकि अगर आप बिग बी और सलमान खान या फिर मिका के प्रशंसक हैं तो उनकी बात का कुछ तो मान आपको रखना ही चाहिए.          

क्या बलात्कार के लिए मोबाइल जिम्मेदार है ?

बलात्कार के लिए मोबाइल जिम्मेदार है यह कहना है कर्नाटक की महिला और बाल विकास   विधान मंडल की अध्यक्ष शकुंतला शेट्टी का . क्या सच में इस घिनौने कृत्य के लिए मोबाइल ही जिम्मेदार हैं. मुझे ऐसा नही लगता. बल्कि जिम्मेदार हैं वो लोग हैं जो इस कृत्य में शामिल होते हैं. लड़कियों के पास मोबाइल हो तो इसका मतलब है उनका बलात्कार होना शत प्रतिशत संभव है. और लड़कों के पास हो तो उन्हें हक बनता है बलात्कार करने का. नही - बिलकुल नही. महिला होकर जो महिलाओं के बारे में क्या सही है ?  क्या गलत है ? यह उनको नही पता.  हाँ उनका कहना यह सही है कि स्कूलों में मोबाइल नही होने चाहिए बच्चों के पास. लेकिन यह बात  लड़के – लड़कियों दोंनो के लिए ही समान रूप से लागू होनी चाहिए.

हर बलात्कार के पीछे लोग लड़की को ही क्यों जिम्मेदार क्यों मानते हैं ? उसके पास मोबाइल है, उसने मिस कॉल पर वापस कॉल किया, उसने छोटे कपडे पहने, वो रात में जा रही थी, वो बाबा के आश्रम में गयी थी, वो लिव इन रिलेशन में थी, वो पब में थी, उसने मेकअप किया था , १५ साल में उसकी शादी कर दो, उसका बॉय फ्रेंड है , वो धंधा करती है और भी ना जाने कैसी – कैसी वाहियात दलीलें.

जिन छोटी बच्चियों के साथ यह दुष्कर्म होता है क्या उन्होंने भी मेकअप किया, उनक बॉय फ्रेंड था छोटे कपडे पहने या वो पब गयी थी. शादी के बाद महिला का बलात्कार हो जाता है कभी पति, देवर या रिश्तेदारों द्वारा तब क्या कहेगे लोग इस बारे में.

हर बात के लिए लड़की को जिम्मेदार मानना छोडकर लड़कों को समझाओ, उनकी गलतियों पर पर्दा डालने की बजाय उन्हें सही गलत में फर्क करना बताओ. महिला को दोयम दर्जे की नही बल्कि बराबर की समझना बताओं, महिला सिर्फ भोगने की वस्तु नही है. महिला का सम्मान करना सिखाओं.



आज पुरुष इस कदर जानवर बन गया है समझ नही आता कि कब उसके अंदर का जानवर जाग जाए. तो समय रहते ही उसे सभ्य और सुसंस्कृत करने की जरुरुत है न कि यह कहने कि लड़के हैं उनसे तो गलती हो ही जाती है और १७ साल का लड़का जब किसी लड़की को अपनी हैवानियत का शिकार बनाता है तो उसे किशोर समझ कर सुधार गृह भेजने की बजाय उसे उसकी गलती की सजा दो.