Tuesday, November 26, 2013

क्यों हुआ ऐसा

१६ मई २००८ को आरुषि की हत्या हुई और अब जाकर ५ सालों के बाद इस हत्याकांड के दोषी उसके ही मम्मी पापा ही हैं यह भी साफ़ साफ़ पता चल गया ।  क्यों इतने साल लगे इस केस की गुत्थी को सुलझने में जबकि देश में सबको ही पता था कि दोषी कौन है फिर भी पैसे के बल पर बचते रहे नुपुर और राजेश तलवार।  खैर सजा तो होनी ही थी और वो मिली चाहे उन दोनों ने कितना भी पैसा खिलाया हो.
लेकिन यहाँ मैं  आरुषि की हत्या और दोषियों के बारे में बात नही कर रही बल्कि उस सबके बारें में बात कर रही हूँ जो परिस्थितियाँ इसके लिए दोषी हैं क्यों हुआ ऐसा ? हम सभी के घर में बच्चे हैं, हम सभी अपने और अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए घर से बाहर निकल कर काम करते हैं. किसकी गलती है मम्मी पापा की ? या बेटी कि जो १४ साल की भी नही हुई थी या बदलते हुए चारों ओर माहौल की ? फोन , इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध  सब कुछ की जिससे देख कर बच्चे तो क्या बड़े भी बहक जाते हैं  या … …, कहने को तो बहुत कुछ है. 
अपनी छोटी से बच्ची को नौकर के साथ इस तरह देखकर किसी भी माँ या बाप का दिल दहल सकता है और गुस्से में ऐसा कदम उठ जाता है जो कि आरुषि के साथ हुआ। लेकिन हत्या ही कोई हल नही है. अगर पढ़े लिखे लोग ही इस तरह का व्यवहार करेगें तो दूसरे किसी से क्यों उम्मीद की  जा सकती है और क्या मिला हत्या से बेटी भी नही रही और खुद भी सज़ा भुगत रहे हैं।  
लोग कहेगें अच्छे संस्कार नही दिए माँ बाप ने तभी  ऐसा हुआ , क्या सच में ऐसा हुआ होगा कोई भी माँ अपनी बच्ची को ऐसे संस्कार देती है ? यह सब क्यों हुआ ? सोच - सोच कर दिल और दिमाग में क्यों अनेकों सवाल उठ रहे हैं ? बड़े हो रहे बच्चों को भी समझना चाहिए कि क्या गलत है क्या सही है अपने से बड़ों से बिना डरे सारी बातें पूछना चाहिये और माँ पापा को भी बड़े हो रहे बच्चों खुल कर सभी बातें करनी चाहिये। लोग कहते आज माँ बाप के पास समय नही है कि बच्चों से बात करने की ,लेकिन इसके साथ यह भी पूरी तरह सच है कि आज बच्चों के पास भी समय नही है अपने परिवार के साथ बात करने की।  इतनी सारी सोशल साइट्स है उन पर समय तो बिताते हैं अनजान लोगों से बातें करते हैं लेकिन अपने परिवार वालों के लिए समय नही है। 
तो यह कहना कि यह दोषी है या वह दोषी है बिलकुल ही गलत है सारा का सारा माहौल ही बदला हुआ है आज. हर चीज का सही वक्त होता है समय और उम्र  से पहले किसी भी बात कि जानकारी जरुरी नही कि आपके लिए सही हो।  महज़ शारीरिक आकर्षण में फंस कर बहुत कुछ खोना पड़ सकता है। 
वैसे भी आज हम जिस समय में रह रहे हैं इसमें किसी भी रिश्ते में कोई भी पवित्रता नही रह गयी है।  कितने ही घर वाले अपनी ही बच्चियों का शारीरिक शोषण करते हैं. कितने ही ऐसे समाचार सुनने को मिलते हैं जिससे मन तार - तार हो जाता है. 
हो सकता है बड़े हो रहे बच्चे और उनके माँ बाप दोनों ही आरुषि मर्डर केस से कुछ सीखे ?