Monday, December 14, 2015

क्या सच में असहिष्णुता बढ़ गयी है ?

क्या सच में असहिष्णुता बढ़ गयी है ? यह सवाल आज कल हर किसी के जुबाँ और ज़ेहन में है ? क्या आपको सच में ऐसा लगता है कि आज के लोगों में सहनशीलता की बहुत कमी है , पहले के लोग ज्यादा सहनशील होते थे और किसी भी गलत बात पर कुछ नही बोलते थे और अपनी जुबान को सिल कर या  टेप लगा कर रखते थे।  नही ऐसा बिल्कुल नही है जैसे आज के लोग हैं वैसे ही पुराने समय के लोग हुआ करते थे फर्क बस इतना सा  है  कि पहले सोशल मीडिया नही था यानि लोगों के पास ऐसा कोई माध्यम नही था जिसमें लोग अपने विचार व्यक्त कर सकें , जिसके माध्यम से वो अपनी मन की बात उन लोगों तक पंहुचा सकें जिनकी बात से उनके दिल को चोट पंहुची हो और जिनकी बात से वो इत्तिफ़ाक़ न रखते हो. 
आज जब हर इन्सान को नेट पर काम करना आता है,   उसके पास फेसबुक और टिवटर है और उसके पास स्मार्ट फोन है,  वो इस फोन के साथ अपने आस -  पास की पल - पल की खबर  देकर एक पत्रकार बन गया है।  सही - गलत के बारें में निर्भीक होकर वो अपने विचार व्यक्त कर सकता है बस इतना ही फर्क  है आज के लोगों और पुराने लोगों में।  
आज के लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पल में ही अपनी राय दे देते हैं जबकि पहले के लोग समाचार पत्रों को पढ़ कर अपने खाली समय में सही -  गलत को लेकर गाँव की चौपाल, किसी पान या चाय दुकान चर्चा किया करते थे या किसी के विचारों से सहमत न होने पर लोगों को एकत्र कर रैली निकाला करते थे जबकि अब फेसबुक और टिवटर पर हैश टैग करके सीधे - सीधे अपने विचार पंहुचा देते हैं। 
आज सोशल मीडिया इतना ज्यादा लोगों पर हावी है कि २४*७  चलने वाले न्यूज़ चैनल भी दर्शकों से टिवटर  पर प्रसारित समाचारों के बारें में राय मांगते हैं।