Monday, December 30, 2013

कितने रियल है ये रियल्टी शो

गौहर खान विजेता बिग बॉस - 7  
अभी - अभी ही ख़तम हुआ है रियल्टी शो बिग बॉस।  दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय था यह शो हालांकि कई बार यह विवाद में भी फंसा।  सलमान का बिग बॉस के प्रतियोगियों को लताड़ना।  कभी गलती पर  और कभी बेवजह।  कई बार उन पर पक्षपाती होने का आरोप भी लगा. लेकिन यहाँ हम  चर्चा  कर रहे हैं इस रियल्टी शो के रियल होने की।
कितना रियल था यह शो इस बार, २८ दिसम्बर को ख़तम हुआ यह  शो . जबकि २८ दिसम्बर से २ दिन पहले यानि २६ दिसम्बर को ही समाचार पत्रों में छप   गया था कि गौहर खान इस कार्यक्रम की विजेता हैं. हाथ में ट्रॉफी लिये गौहर की फ़ोटो भी लगभग सभी सोशल साइट्स आसानी से दिखाई दे रही थी. फिर भी जो दर्शक अंजान थे कि यह शो रियल नही है वोट करते रहे अपने प्रिय प्रतियोगियों को जिताने के लिये। दर्शकों को क्यों नही रोका गया। 
 इसके अलावा फायनल में जो भी डान्स परफोर्मेन्स थी उसमें भी बिग बॉस के घर के अंदर के लोग बाहर के लोगों के साथ डान्स कर रहे थे जैसे अरमान --तनीषा। कुशाल - गौहर , एंडी - अज़ाज़ खान और संग्राम। इतने सारे डांसर के साथ इन प्रतियोगियों के डांस कर रहे थे तो सोचिये कितने लोग बिग बॉस के घर के अंदर थे।
   
जब यह शो रियल हैं ही नही तो दर्शकों को  बेवकूफ बनाने की क्या कोई ख़ास वजह।  या सिर्फ पैसा कमाना ही उनका मकसद है।           
तो शो शुरू होने से पहले ही बयान जारी कर देना चाहिये कि," हालांकि यह कार्यक्रम एक सच्चा कार्यक्रम है लेकिन सच्चाई से इसका कोई भी सरोकार नही है.अगर दर्शक सच समझ कर खुद मूर्ख बने तो यह हमारी जिम्मेदारी नही है. "   

Tuesday, December 10, 2013

तनीषा ये क्या किया तुमने

तनीषा मुखर्जी यानि अपने जमाने की लोकप्रिय अभिनेत्री तनुजा की छोटी बेटी, जिसकी बड़ी बहन है काजोल और जीजा है अजय देवगन। तनीषा बिग बॉस - ७ की प्रतियोगी हैं अब जबकि बिग बॉस ख़तम होने में बहुत ही कम वक्त बचा है फिर भी तनीषा की चर्चा करनी ही होगी। तनीषा को अभिनय के सफ़र में कोई ख़ास सफलता नही मिली। उन्होंने अपनी फ़िल्मी कैरियर शुरू किया फ़िल्म "शि" , इसके बाद कुछ २ - ४ छोटी मोटी फ़िल्में की।  इनकी सबसे ज्यादा चर्चा हुई उदय चोपड़ा के साथ की गयी फ़िल्म "नील एन निक्की " के लिये।  इस फ़िल्म में तनीषा ने भरपूर अंग प्रदर्शन किया लेकिन नतीज़ा रहा ज़ीरो।  हाँ उदय और तनीषा के रोमांस के किस्से खूब हुए।  इस फ़िल्म के अलावा इन्होने बंगाली , मराठी ,तमिल और तेलुगु भाषा की भी एक एक फ़िल्म भी की। 

बिग बॉस में जब तनीषा आयी तब सभी दर्शकों को वो बहुत पसंद आयी लेकिन धीरे - धीरे उनमें बदलाव आने शुरू हो गए और इसके साथ ही दर्शक उन्हें नापसंद करने लगे।  ऐसा नही था कि पहले दर्शक उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे कि उन्होंने शानदार फ़िल्में की  हों लेकिन उन्हें "बिग बॉस " जैसा प्लेट फॉर्म मिला था अपनी एक अलग छवि बनाने का , अपनी बहन और माँ से अलग, लेकिन वो तो पता नही क्या करने लगी।  सलमान ने भी उन्हें कहा कि बिग बॉस के कैमरे घर में सब जगह है अरमान और तनीषा प्लीज बी केयर फुल।  

किसी को प्यार करना , किसी के करीब जाना कोई भी बुराई नहीं लेकिन फिर भी सबका अपना -- अपना दिमाग और सोच होती है तभी इंसान का अपना अलग व्यक्तित्व बनता है लेकिन तनीषा ने तो जैसे अपना दिमाग खर्च करना ही बंद कर दिया जो अरमान करेगा वो भी वही करेगी। अपने लिये वो कम लड़ी जबकि अरमान के लिये वो ज्यादा लड़ती हुई दिखाई दी.  


समझ नही आता उन्हें क्या हुआ ? एक आत्म निर्भर महिला के रूप में अपनी छवि बनाने के बजाय इसमें वो अरमान की चमची ज्यादा नज़र आयीं। कभी तो अपनी समझ के मुताबिक निर्णय लेना सीखती तनीषा। जिससे उनकी माँ और बहन को भी गर्व होता। 

मनोरंजन से भरपूर है फ़िल्म आर राजकुमार


पिछले शुकवार यानि  ६ दिसंबर को  रिलीज़ हुई फ़िल्म "आर राजकुमार " . निर्देशक प्रभुदेवा व  शाहिद कपूर और सोनाक्षी सिन्हा की जोड़ी वाली इस वाली का  गीत -- संगीत खासा  लोकप्रिय हुआ  श्रोताओं  के बीच.  लेकिन समीक्षकों ने इस फ़िल्म की बहुत बखिया उधेड़ी और कईयों ने इस फ़िल्म को एक स्टार  भी नही देना उपयुक्त महसूस नही किया । कई अखबारों में इसे बकवास , कचरा तक कह दिया। एक्शन और संवाद  और डान्स से भरपूर इस फ़िल्म को क्यों समीक्षको ने नकारा मुझे समझ में नही आया जबकि ऐसी अनेकों फिल्मों को उन्होंने  २-  ३- ४ स्टार तक दिये थे
और उनकी तारीफों में अनेकों पुल भी बाँध दिये थे। अगर सच में समीक्षक बदल गए हैं तो अपना यह बदलाव आगे आने वाली फिल्मों के साथ भी रखेगें तो बहुत अच्छा होगा।


 क्या इस फ़िल्म में कोई खान नही था इसलिए या ऐसी समीक्षा करने की  कोई विशेष मजबूरी। इसी तरह कि अनेकों फिल्मों में १०० करोड़ से ऊपर की  कमाई भी की है. जबकि सबको मालूम है आज कल कौन सी फ़िल्म रिलीज़ हो रही है जिसमें किसी भी दर्शक को अपना दिमाग खर्च करने की  जरूरत होती है, आज कल रिलीज़ होने वाली अधिकतर फिल्मों को देखते समय अपना दिमाग घर ही छोड़ कर जाना सही रहता है।  फिर इस फ़िल्म के साथ दोहरा मापदंड क्यों अपनाया समीक्षको ने। 

भरपूर एक्शन , नाच - गाना और बहुत सारे कॉमेडी पंचेज भी थे इस फ़िल्म जिसे देख कर दर्शक बेहाल हुए जा रहे थे।

Friday, December 6, 2013

आखिरकार आदित्य नारायण को गीत ही गाना पड़ा



लोकप्रिय गायक उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण जिन्होंने बचपन में कई फिल्मों में गीतों को गाकर कई अवार्ड भी जीते साथ ही कई फिल्मों में अभिनय भी किया। बाल गायक के रूप में करीब १०० से भी अधिक फिल्मों में गाकर आदित्य ने सफलता पायी और कई बड़े बैनरो की फिल्मों में  बाल्य कलाकार के तौर  पर काम  भी किया। सन २००६ में लंदन के टेक म्यूजिक स्कूल से  संगीत की  ही पढ़ाई की  और वापस भारत आकर २००७ में सारेगामापा चेलेंज २००७ में बतौर होस्ट काम किया।  १९ साल के आदित्य इस कार्यक्रम के प्रसारण से घर - घर में लोकप्रिय हो गये. इसके बाद एक - एक करके उन्होंने २००८ में सारेगामापा लिटिल चैंप्स और  २००९ में सारेगामापा चेलेंज के एंकर बने। 

आदित्य के प्रशंसक उनकी आवाज़ को एक प्ले बैक सिंगर  के रूप में सुनना चाहते थे लेकिन सन २०१० में निर्देशक विक्रम भट्ट ने उन्हें अपनी फ़िल्म "शापित " में बतौर नायक उन्हें ले लिया और  सच में यह फ़िल्म उनके लिए एक श्राप साबित हुई इस फ़िल्म को कोई ख़ास सफलता भी नही मिली। बतौर हीरो तो आदित्य अफल रहे हाँ इस फ़िल्म के गीत उन्होंने लिखे कंपोज़ किये और गाये भी और इस फ़िल्म में क्षेत्र में उन्हें  सफलता भी मिली।   

२०१२ में आदित्य ने संजय लीला भंसाली के साथ  फ़िल्म "राम लीला" के लिए एक सहायक के रूप में काम करना शुरू किया। इस फ़िल्म में उन्होंने गीतों को गाया जो कि फ़िल्म के लिए उनके पिता उदित को गाना था लेकिन जब संजय ने "तड़ तड़" और ' इश्क्यूँ ढिश्क्यू " दोनों ही गीतों को सुना तो उन्हें बेहद पसंद आये और आदित्य ने भी कहा कि "मेरे ही गीतों को सर फ़िल्म में रखिये मैंने अपने पापा से बात कर लूँगा। "


आखिरकार क्यों आदित्य ने इतने साल लगा दिये फिल्मों में गीतों को गाने में. जबकि उनकी आवाज़ अच्छी है श्रोताओं को पसंद भी आती है यह बात फ़िल्म "रामलीला " के उनके गाये ये दो हिट गीत बताते हैं।  इस फ़िल्म के बाद भी उन्हें दूसरी फिल्मों के लिए गीत गाने चाहिये। क्योंकि वैसे भी उदित तो गीत कम ही गाते हैं और उनके प्रशंसक उन्हें सुनना  चाहते हैं इन दोनों ही गीतों को सुनकर कई बार लगता है कि उदित की ही आवाज़ है. 

Wednesday, December 4, 2013

फिर क्यों हम भी उन्हें देखें

हिंदी फिल्मों से जुड़े अभिनेता - अभिनेत्री, गायक - गायिका, निर्देशक अक्सर ही यह कहते हैं कि वो हिंदी फ़िल्में नही देखते क्योंकि अपने ही साथ काम करने वाले अभिनेता - अभिनेत्रियों से हम  क्या सीख सकते हैं जबकि हॉलीवुड की फ़िल्में देख कर वहाँ के कलाकारों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. पिछले दिनों करीना कपूर का यह बयान आया कि "बहुत दिनों से उन्होंने कोई भी हिंदी फ़िल्म नही देखी यहाँ तक की 'बर्फी' फ़िल्म भी नही देखी जिसमें अभिनेता रणवीर कपूर के अभिनय की बहुत तारीफ हुई थी। हिंदी फ़िल्में इसलिए नही देखी क्योंकि सैफ अली का कहना है कि हिंदी फिल्मों से हम क्या सीख सकते है? "
इसी तरह शाहरुख़ खान भी कहते है कि वो खुद की भी कोई फ़िल्म नही देखते यहाँ तक की उन्होंने अपनी हिट फ़िल्म "कल हो न हो" अपनी बेटी के  साथ १० साल बाद देखी और इस फ़िल्म को देखकर हम खूब रोये भी." क्या सच में ऐसा सम्भव है कि कोई कलाकर अपनी फ़िल्म भी नही देखता। 
इसी तरह लोकप्रिय गायक कैलाश खेर भी फरमाते हैं,"मैं बॉलीवुड संगीत ज्यादा नही सुनता, हालांकि मैं भारतीय संगीत सुनता हूँ। " 
हिंदी फिल्मों में काम करते हैं वही से इनकी रोज़ी रोटी चलती है हिंदी फिल्मों में काम करने की वजह से वो देश विदेश में लोकप्रिय हैं।

उनकी फ़िल्में देख - देख कर दर्शक उनके दिवाने बनते हैं और ये लोग हिंदी फ़िल्में देखना तो दूर हिंदी बोलते भी नही. उनके लिए संवाद भी रोमन भाषा में लिखे जाते हैं. यह बात सिर्फ इन २ - ३ कलाकारों के बारें में नही है बल्कि अधिकतर हिंदी फिल्मों के सभी कलाकारों के बारे में हैं। 
जब वो खुद अपनी फ़िल्में नही देखते , संगीत नही सुनते तो कहीं ऐसा न हो उनके प्रशंसक उनकी बात मानकर ऐसा ही न करने लगे , सोचो अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा ?

पाकिस्तान में अब हिंदी फ़िल्में नहीं

पिछले दिनों रिलीज़ हुई फ़िल्म "बुलेट राजा " पाकिस्तान में प्रदर्शित नही हो सकी क्योंकि पाकिस्तान कोर्ट ने वहाँ पर भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है. अब कोई भी हिंदी फ़िल्म वहाँ के दर्शक नही देख सकेगें। जबकि पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्में, गीत - संगीत और टी वी धारावाहिकों की लोकप्रियता हद से ज्यादा है दर्शकों के बीच। पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों में रोक की वजह से वहाँ के दर्शक खुश नही हैं. 
क्यों हमेशा पाकिस्तान ऐसा करता है क्यों हम नहीं पाकिस्तान के कलाकारों को यहाँ आने पर रोक लगाते ? वहाँ के गायक, अभिनेता -- अभिनेत्री यहाँ भारत की फिल्मों में काम कर करके अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं।  
क्या भारत में उनसे बेहतर कलाकार भारतीय फ़िल्म निर्माताओं को नही मिलते ? कभी तो हमें भी पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना चाहिये। ठीक है पाकिस्तान के लोगों का इसमें कोई भी दोष नही लेकिन आखिर हैं तो वो फिर भी उसी देश के।  
इसी तरह पिछले दिनों पाकिस्तान को तालिबान ने धमकी दी कि सचिन तेंदुलकर को पाकिस्तान टी वी में न दिखाये। तो क्या पाकिस्तान अब उसकी भी सुनेगा। 
वैसे तो हम सभी जानतें हैं पाकिस्तान का भारत के प्रति क्या रवैया है ?  फिर क्यों हम उसे उसकी औकात नही दिखाते कभी ?